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चौथाई चाँद. Massimo Longo E Maria Grazia GulloЧитать онлайн книгу.

चौथाई चाँद - Massimo Longo E Maria Grazia Gullo


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कि क्या यही उसके भाई की परेशानी का कारण थी? उसने एलियो की नज़र का पीछा किया।

      वह बिलकुल उस पुरानी किताब को ही घूर रहा था। वह मुड़ी और उसने उसको उठा लिया और किताब अपने हाथ में लिए उसने उसे संबोधित किया:

      “क्या यही तुम्हारे डर का कारण है?”

      एलियो ने एक शब्द तक नहीं कहा।

      “एलियो, मुझ से बात करो। अगर तुम मुझसे दूर रहने की ज़िद करोगे तो मैं तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊँगी।”

      “ट्रेन।” एलियो फुसफुसाया।

      “ट्रेन? तुम्हारा मतलब क्या है?”

      “मैं ने ट्रेन में बिलकुल यही किताब देखी थी।”

      “इसमें इतना अजीब क्या है?”

      “जब तुम पैंट्री कार में गई थीं, तब वह अजीब बूढ़ा आदमी इसे पढ़ रहा था। वह मेरे पीछे वाली पंक्ति में बैठा था।”

      “बहुत से लोग सफर करते समय किताबें पढ़ते हैं।”

      “लेकिन यह कोई आम किताब नहीं है, क्या तुम नहीं देख पा रही हो।” एलियो ने जवाब दिया, जो नाराज़ हो गया था।

      दरअसल गाइया ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि किताब का मुखपृष्ठ कितना विशिष्ट है, और जब उसने इसे खोला तो वह और भी हैरान रह गई।

      यह किसी विदेशी भाषा में लिखी हुई थी। श्वेत-श्याम तस्वीरें पूरे चाँद की रात में जंगल में अजीब सी आकृतियों को दर्शा रही थीं। इसमें से अधिकतर तस्वीरें व्यथित कर देने वाली थीं।

      लेकिन उसने उन्हें न देखने का नाटक किया। उसने तुरंत किताब बंद कर दी और उसे कोने में फेंक दिया।

      “छोड़ो, यह बस एक संयोग है। यह केवल एक पुरानी किताब है।”

      एलियो ने खामोशी बरकरार रखी; उसके कानों में घंटी फिर से बजने लगी थी।

      गाइया ने उसका ध्यान भटकाने का प्रयास किया, हालांकि वे भुतहा तस्वीरें उस के दिमाग से निकल ही नहीं रही थीं।

      “आओ, इन बक्सों को रौशनी में खिसकाने में मेरी मदद करो। चलो हम रौशनदान के नीचे थोड़ी जगह बनाएँ। यहीं मैं अपना बिस्तर बिछाना चाहती हूँ। दुर्भाग्य से हमें एक ही बिस्तर पर सोना पड़ेगा, और मैं सितारों


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